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ईमान

आइटम्स की संख्या: 30

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    नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की संक्षिप्त जीवनी: इस पुस्तक को डॉ. हैस़म सरहान ने मूल रूप से अरबी भाषा में लिखा है जिसका हिंदी भाषा में अनुवाद साबिर हुसैन ने किया है। इस पुस्तक को सरल रूप में तैयार किया गया है जिसका अध्यन करना प्रत्येक उस व्यक्ति के लिए अपरिहार्य है जो नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के जीवन, उनकी सीरत, उनके गुण, उनकी शारीरिक एवं नैतिक विशेषताओं, तथा आपके सगे-संबंधियों एवं पत्नियों के विषय में जानकारी प्राप्त करने का इच्छुक है। लेखक ने इसे स्तंभ, सूचिपत्र एवं तालिका के रूप में सुंदर ढंग से तरतीब दे कर प्रस्तुत किया है, एवं प्रत्येक खण्ड की समाप्ती के पश्चात पाठक की पात्रता जाँचने के लिए प्रश्न एवं परीक्षा तैयार किये हैं। इस पुस्तक की विशेषता यह है कि इसे उबा देने वाली लम्बाई तथा अर्थ का अनर्थ करने वाली लघुता से बचते हुए संयोजित एवं संक्षिप्त रूप में तैयार किया गया है।

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    इस पुस्तक में पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की जीवनी, शिष्टाचार और स्वभाव से संबंधित महत्वपूर्ण तत्वों को 42 सभाओं के द्वारा दर्शाने का एक सफल प्रयत्न किया गया है। जिसमें पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के उम्मत पर हुक़ूक़, रमज़ान में पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के व्यवहार, पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की वंशावली, आप की सच्चाई व अमानत, विशेषताएँ, वैवाहिक जीवन, आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की क्षमा, न्याय, दानशीलता, वीरता, नम्रता, रहन-सहन, उपासना, नारी सम्मान, राज्य निर्माण.....आदि पर स्पष्ट रूप से प्रकाश डाला गया है।

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    ईमान के मूल आधार –अरकाने ईमान- पर लिखी जाने वाली यह सर्वोच्च पुस्तक है, जिस में इस्लाम धर्म की विशेषताओं, इस्लाम के स्तम्भ और इस्लामी अक़ीदह के उद्देश्य का संछिप्त रूप से और ईमान के स्तम्भ का विस्तार रूप से उल्लेख किया गया है।

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    सच्चा धर्म : सत्य धर्म के खोजी के लिए एक लाभदायक संक्षिप्त पुस्तिका, जिसमें इस्लाम धर्म का एक संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करते हुए यह स्पष्ट किया गया है कि इस्लाम ही वह धर्म है जिसके अतिरिक्त अल्लाह सर्वशक्तिमान कोई अन्य धर्म स्वीकार नहीं करेगा। इसी तरह इसमें अन्य धर्मों और सिद्धांतों की समीक्षा करते हुए उनकी शून्यता को स्पष्ट किया गया है। इसके अलावा, ईसा और उनकी माँ – अलैहिमस्सलाम - की वास्तविकता, इस्लामी धर्म की सार्वभौमिकता और इन्सान व जिन्नात की रचना का उद्देश्य उल्लेख किया गया है।

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    अगर लोग आपको जान लें, तो आपसे मोहब्बत करने लगें

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    इस्लाम के रसूल मुहम्मद -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- का संक्षिप्त परिचय, जिसमें मैं आपके नाम, वंशज, शहर, शादी, संदेश जिसकी ओर आपने बुलाया, आपकी नबूवत के चमत्कारों, आपकी शरीयत और आपके साथ दुश्मनों के व्यवहार के बारे में बात करूँगा।

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    ईमान के मूलाधार

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    ईमान के मूलाधार

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    नवमुस्लिम मार्गदर्शिका : यह हिंदी में अनूदित एक बहुमूल्य पुस्तक है, जिसमें इसलाम धर्म ग्रहण करने वाले नवमुस्लिमों को चित्रों एवं आकृतियों के माध्यम से ऐसे निर्देश दिए गए हैं, जिनके ज़रिए वे इसलाम को आसानी से समझ सकें। दरअसल, यह उन सीमित कार्यों में से एक है, जो विशेष रूप से नवमुस्लिमों को सामने रखकर किए गए हैं, जिन्हें इसलाम की मूल शिक्षाओं के बारे में सही जानकारी की अधिक आवश्यकता होती है। इस पुस्तिका में बहुत ही आसान एवं सरल अंदाज़ में फ़िक़्ह के सभी मसायल, अक़ीदा संबंधी संदेहों और शरई पारिभाषिक शब्दों को ध्यान में रखते हुए सप्रमाण शिक्षा प्रदान करने की पद्धति अपनाई गई है।

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    इस्लाम और ईमान के स्तंभ क़ुरआन व सुन्नत से संकलितः इस पुस्तक में संक्षेप के साथ इस्लाम और ईमान के स्तंभों का वर्णन करते हुए, इस्लाम, ईमान और एहसान का अर्थ, ला इलाहा इल्लल्लाह और मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह की गवाही का अर्थ उल्लेख किया गया है। इसके बाद इस्लाम के दूसरे स्तंभ नमाज़ का महत्प व विशेषता, नमाज़ छोड़ने पर चेतावनी, वुज़ू का तरीक़ा, नमाज़ का तरीक़ा तथा ईद, जुमा, जनाज़ा, इस्तिखारा, इस्तिस्क़ा (बारिश मांगने), सूर्य व चाँद ग्रहण की नमाज़, बीमार व्यक्ति की पवित्रता और नमाज़ के तरीक़ा का वर्णन किया गया है। तथा ज़कात की विशेषता व महत्व, उसके अनिवार्य होने की तत्वदर्शिता, जकात के धन और उसकी मात्रा, उसके हकदार लोग और ज़कात ने देने वालों की सज़ा, रोज़ा. उसके लाभ और शिष्टाचार, हज्ज व उम्रा की विशेषता, उसका तरीक़ा और उससे संबंधित कुछ मसाइल, तथा मस्जिदे नबवी की ज़ियारत के शिष्टाचार का उल्लेख किया गया है। तक़्दीर -भाग्य- पर ईमान, उसकी श्रेणियाँ और तक़्दीर पर ईमान रखने के लाभ का वर्णन विशेष रूप से किया गया है। इसी तरह चारों इमामों के बीच पाये जाने वाले विचार भेदों के मुद्दे का उल्लेख करते हुए यह स्पष्ट किया गया है कि वे सभी हदीस पर अमल करने वाले थे और उनके बीच मतभेदों के अनेक कारणों में से उनके पास हदीस का न पहुँचना था। और सभी अपनी ज़िम्मेदारी निभाते हुए अपनी तक़्लीद करने से सख्ती से रोका है और हदीस के अनुकरण का हुक्म दिया है। अंत में कुछ नास्तिकता पर आधारित बातिल अक़ीदों का उल्लेख कर उनका खंडन किया गया है।

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    अल्लाह के पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लमः जब पूरी दुनिया विचारधारा के अंधकार तथा भ्रष्ट-उपासना, अत्याचार, अन्याय, नैतिक और सांस्कृतिक गिरावट, पतन, पिछड़ेपन, मूर्खता और अज्ञानता के अँधेरे में भटक रही थी कि अरब द्वीप के पवित्र नगर मक्का मुकर्रमा में अल्लाह के संदेष्टा मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के स्वरूप में एक उज्जवल प्रकाश फूटा जिसकी किरणों से सर्वसंसार प्रकाशमान हो गया औऱ उसे इस्लाम का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। प्रस्तुत पुस्तक में पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की पवित्र जीवनी, आपके सदव्यवहार, स्वभाव, गुण-विशेषण, शिष्टाचार पर संक्षेप में प्रकाश डाला गया है। तथा आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के ईश्दूतत्व की पुष्टि करने वाले मूलग्रंथों - क़ुर्आन व हदीस - और पिछली आसमानी ग्रंथों से कुछ प्रमाण और अक़्ली तर्क भी वर्णन किये गये हैं। साथ-साथ ही आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के विषय में गैर-मुस्लिमों की कुछ गवाहियों को भी प्रस्तुत किया गया है।

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    मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के आगमन की पूर्व सूचना हमें बाइबल, तौरेत और अन्य धर्म ग्रन्थों में मिलती है, यहाँ तक कि भारतीय धर्मग्रम्थों में भी आप के आने की भविष्यवाणियाँ मिलती हैं। हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्म की पुस्तकों में इस प्रकार की पूर्व-सूचनाएँ मिलती हैं। इस पुस्तिका में सब को अकत्र करके पेश करने का प्रयास किया गया है। और यह सिद्ध किया गया है कि जिस नराशंस या कल्कि अवतार के आगमन का उनके धर्मग्रन्थों में उल्लेख हुआ है और उसकी जो विशेषतायें वर्णित हुई हैं, वह इस्लाम के पैग़म्बर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ही हैं। इसलिए जीवन की सुगम, सार्थक, सफल और फलदाई यात्रा के लिए अल्लाह के अन्तिम पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के द्वारा पेश की गई शिक्षाओं को अपनाया जाए और उनके बताये हुए मार्ग पर चला जाए।

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    अल्लाह के पैग़म्बर के सद्व्यवहार के कुछ दर्शन : मानवता के लिये बहुत बड़े लज्जा की बात है कि मानवता के मोक्ष प्रदायक अल्लाह के पैग़म्बर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जैसे महान पुरूष के आचार पर प्रहार कर के उनका अपमान किया जाए जिनका दूत-कर्म ही शिष्टाचार को सम्पन्न करना था। यह लेख आप के सद्व्यवहार का सन्छिप्त दर्शन प्रस्तुत करता है।

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    इस लेख में उम्मते-इस्लामिया के हर व्यक्ति पर नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के प्रति अनिवार्य दस हुक़ूक़ का उल्लेख किया गया है।

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    यह एक संक्षिप्त पुस्तक है जिसमें अल्लाह तआ़ला के अस्तित्व में संदेह का विश्लेषण किया गया है,अल्लाह के अस्तित्व में संदेह का यह सिद्धांत अनेक समाजों में आम होता जा रहा है, यह पुस्तक प्राकृतिक, तर्कसंगत, धामिर्क एवं संवेदी तर्कों के आलोक में विभिन्न रूप से अल्लाह तआ़ला के अस्तित्व को प्रमाणित करती है।

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    इसी उद्देश्य से यह पुस्तिका हमने आपके समक्ष रखा है ताकि हमारे प्रिय एवं आँखों की ठंडक मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की मदद का ह़क़ अदा हो सके जोकि आप के हमारे ऊपर जो ह़क़ हैं उनमें सबसे तुच्छ ह़क़ है, अल्लाह तआला से दुआ है कि वह इसे ख़ालिस अपनी रज़ा के लिए स्वीकार कर ले, अल्लाह मुझे और उन समस्त लोगों को जिन्होंने आपकी मदद करने में भाग लिया और आपके सम्मान की रक्षा के लिए सीना तान कर खड़े हो गए आपके संग उठाए, अल्लाह तआला हमें क़्यामत के दिन आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का साथ नसीब करे और हमें उस सम्मानित ह़ौज़ (कुंड) से पिलाए जिसको पीने के पश्चात हम कभी प्यासे न हों ... आमीन।

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    इस लेख में कुरआन का संक्षिप्त परिचय देते हुए उसके अवतरण के आरंभ, उसकी कैफियत, समय, अवतरण की अवधि, उसके संकलन और उसके संरक्षण के लिए अपनाए गए प्रयोजनों और प्रावधानों तथा दुनिया भर में उसके प्रसारण व प्रकाशन और अन्य भाषाओं में उसके अर्थ का अनुवाद किए जाने का उल्लेख किया गया है। इसी तरह क़ुरआन में चर्चित मुख्य विषयों का भी उल्लेख किया गया है।

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    अल्लाह सर्वशक्तिमान और उसकी महानता व महिमा से अनभिज्ञ कुछ अवा के यहाँ अल्लाह को गाली देना, बुरा भला कहना और उसे ऐसे शब्दों और गुणों से नामित करना मशहूर हो चुका है जिनका चर्चा करना या उन्हें सुनना एक मुसलमान के लिए बहुत दुलर्भ होता है। और कभी तो इसे ऐसे लोग कहते हैं जो अपने आपको मुसलमान समझते हैं, इसलिए कि वे शहादतैन यानी ला इलाहा इल्लल्लाह और मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह का इक़रार करते हैं। कभी तो कुछ नमाज़ियों से भी ऐसा हो जाता है, और शैतान उनकी ज़ुबानों पर इसे जारी कर देता है। और उनमें से कुछ को शैतान यह पट्टी पढ़ाया है कि वे उसके अर्थ को मुराद नहीं लते हैं, और न ही उससे अपने पैदा करनेवाले का अवमान करना चाहते हैं, तथा उन्हें यह समझाया है कि यह बेकार (तुच्छ) बातों में से है जिस पर ध्यान नहीं दिया जाता! इसी कारण उन्हों ने इसमें लापरवाही से काम लिया है! इस पत्रिका में इस मामले की गंभीरता को बयान किया गया है।

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