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उपासनाओं के भेद
आइटम्स की संख्या: 2
- हिन्दी लेखक : अब्दुलहमीद बिन जाफर दाग़िस्तानी अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
प्रस्तुत लेख में अपशकुन व निराशावाद का अर्थ स्पष्ट करते हुए यह उल्लेख किया गया है कि यदि मुसलमान के दिल में अपशकुन पैदा हो जाए तो उसके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए। तथा इस बात पर प्रकाश डाली गई है कि सफर के महीने से अपशकुन लेना जाहिलियत के समयकाल की प्रथा है, इस्लाम धर्म में उसकी कोई वास्तविकता नहीं है।
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
किसी चीज़ को मनहूस –अशुभ- समझना या उस से अपशकुन और बदफाली लेना जाहिलियत –अज्ञानता- के युज्ञ की परंपराओं में से है, जिसका इस्लाम ने खण्डन किया है और उसे अल्लाह पर दृढ़ विश्वास,संपूर्ण तवक्कुल व भरोसा के विरुद्ध घोषित किया है। जाहिलियत के समय के अरब जिन चीज़ों से अपशकुन लिया करते थे उन्हीं मे से एक इस्लामी केलेण्डर के द्वितीय मास सफर से अपशकुन लेना है,जिसका प्रभाव किसी न किसी रूप में आज तक के मुसलमानों में भी दिखायी देता है। इस लेख में इस्लामी दृश्य से इस पर प्रकाश डाला गया है।