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- क़ुरआन और उसके विज्ञान
- क़ुरआन में मननचिंतन, उसकी प्रतिष्ठा, उसका हिफ़्ज़ और तिलावत के शिष्टाचार
- तफ़सीर (क़ुरआन की व्याख्या)
- कुरआन के विज्ञान
- मुसहफ (क़ुरआन की प्रतियाँ)
- मसाहिफ़ और क़ुरआन करीम के पाठ
- क़ुरआन करीम के अर्थों का अनुवाद
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- क़ुरआन के अर्थों के अनुवाद के साथ सस्वर पाठ
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फत्वे
आइटम्स की संख्या: 199
- हिन्दी मुफ्ती : मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
आदरणीय शैख मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन रहिमहुल्लाह से प्रश्न किया गया किः मेरी एक पत्नी है जिसने हज्ज नहीं किया है, तो क्या मेरे ऊपर अनिवार्य है कि मैं उसे हज्ज कराऊँ? और क्या हज्ज में उसका खर्च मेरे ऊपर अनिवार्य है? और अगर वह मेरे ऊपर अनिवार्य नहीं है तो क्या उससे समाप्त हो जायेगा?
- हिन्दी मुफ्ती : मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद
अल्लाह तआला हमारी दुआओं को क्यों नहीं स्वीकार करता
- हिन्दी मुफ्ती : मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
कुछ लोग रमज़ान की सत्ताईसवीं रात को लैलतुल-क़द्र से चर्चित करते हैं . . . तो क्या इस निर्धारण (चयन) का कोई आधार है? और क्या इसका कोई प्रमाण है?
- हिन्दी मुफ्ती : स्थायी समिति वैज्ञानिक अनुसंधान, इफ्ता, दावत एंव निर्देश अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
हमारे देश में कुछ विद्वानों का भ्रम यह है कि इस्लाम धर्म में एक नफल नमाज़ है जो सफर महीने के अंत में बुध के दिन चाश्त के समय एक सलाम के साथ चार रकअत पढ़ी जाती है जिसमें हर रकअत के अंदर सूरतुल फातिहा, सत्तरह बार सूरतुल कौसर, पचास बार सूरतुल इख्लास, एक-एक बार मुअव्वज़तैन (यानी सूरतुल फलक़ और सूरतुन्नास) एक-एक बार पढ़े, इसी तरह हर रकअत में किया जाए और सलाम फेर दिया जाए। सलाम फेरने के बाद तीन सौ साठ बार यह आयत पढ़ें: ﴿وَاللَّهُ غَالِبٌ عَلَى أَمْرِهِ وَلَكِنَّ أَكْثَرَ النَّاسِ لاَ يَعْلَمُونَ﴾ तथा तीन बार जौहरतुल कमाल (तीजानी पद्वति का एक वज़ीफा) पढ़े, तथा अंत में ﴿سبحان ربك رب العزة عما يصفون وسلام على المرسلين والحمد لله رب العالمين﴾ और गरीबों को कुछ रोटी दान करे। इस आयत की विशेषता उस आपदा को दूर करना है जो सफ़र के महीने के अंतिम बुध को उतरती है। तथा उनका कहना है कि: हर वर्ष तीन लाख बीस हज़ार आपदाएं अवतरित होती हैं और ये सब की सब सफर के महीने की अंतिम बुध को उतरती हैं। इस तरह वह वर्ष का सबसे कठिन दिन होता है। अतः जो व्यक्ति इस नमाज़ को उक्त तरीक़े पर पढ़ेगा तो अल्लाह तआला उसे अपनी अनुकम्पा से उन सभी आपदाओं से सुरक्षित रखेगा जो उस दिन में उतरती हैं। तो क्या इसका यही समाधान है या नहीं ?
- हिन्दी मुफ्ती : स्थायी समिति वैज्ञानिक अनुसंधान, इफ्ता, दावत एंव निर्देश अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
हमने सुना है कि ऐसी मान्यताएं पाई जाती हैं जिसका आशय यह है कि सफर के महीने में शादी, खतना और इसके समान अन्य चीज़ें करना जायज़ नहीं है। कृपया हमें इस बारे में इस्लामी क़ानून के अनुसार अवगत कराएं। अल्लाह आप की रक्षा करे।
- हिन्दी मुफ्ती : अब्दुल अज़ीज़ बिन अब्दुल्लाह बिन बाज़ अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
अक्सर दोहराया जाता रहता है कि सफर का महीना नहूसत (अपशगुन, दुर्भाग्य) का महीना है, जिससे कुछ अवाम बहुत से मामलों में अपशकुन लेते हैं। चुनाँचे उदाहरण के तौर पर इस महीने में निकाह नहीं किया जाता है, इसी तरह कुछ लोगों का मानना है कि निकाह की सभा में लकड़ी तोड़ना या रस्सियों में गाँठ लगाना और उंगलियों में उंगलियाँ डालना जायज़ नहीं है ; क्योंकि इसकी वजह से यह विवाह विफल हो जायेगा और पति-पत्नी के बीच सामंजस्य नहीं बन पायेगा। चूँकि यह अक़ीदा को प्रभावित करता है, इसलिए कृपया नसीहत (सदुपदेश) करें और इस बारे में शरई प्रावधान स्पष्ट करें। अल्लाह तआला सभी लोगों को उस चीज़ की तौफीक़ प्रदान करने जिसे वह पसंद करता है और उससे प्रसन्न होता है।
- हिन्दी अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
क्या मुसलमान का नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की ओर से क़ुर्बानी करना सही है ? इस मुद्दे में विद्वानों का विचार क्या है ? इस हदीस की प्रामाणिकता क्या है और उसकी व्याख्या क्या है ? हनश से वर्णित है वह अली रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत करते हैं कि : ‘‘वह दो मेंढों की क़ुर्बानी करते थे, एक नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की ओर से और दूसरी अपनी तरफ से। उनसे इसके (कारण के) बारे में पूछा गया, तो उन्हों ने फरमाया : मुझे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इसका आदेश दिया है। इसलिए मैं इसे कभी नहीं छोड़ूँगा।’’ इसे तिर्मिज़ी और अबू दाऊद ने रिवायत किया है।
- हिन्दी मुफ्ती : मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
ईद की नमाज़ का हुक्म
- हिन्दी मुफ्ती : मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
यह आदरणीय शैख मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन रहिमहुल्लाह से पूछे गये एक प्रश्न का उत्तर है जिसका अंश यह है किः ईद की नमाज़ का हुक्म और उसका तरीक़ा क्या है ? और उसकी शर्तें और उसका समय क्या है ?
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मैं जानती हूँ कि घर में कुत्ता रखना हराम (निषिद्ध) है, किंतु मेरे पास ग्यारह साल से एक कुत्ता है, फिर मैं ने इस्लाम स्वीकार कर लिया, मेरे पास कुत्ता मेरे इस्लाम स्वीकार करने के पूर्व से ही है, तो क्या मेरी नमाज़ क़बूल होगी ॽ जब कुत्ता मर जायेगा तो मैं दूसरा कुत्ता कभी भी नहीं लाऊँगी ; क्योंकि अब मुझे पता है कि यह हराम है।
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मैं सोलह साल की एक लड़की हूँ, और एक ऐसे परिवार से हूँ जो धर्म के प्रति प्रतिबद्ध नहीं हैं, मैं एक अकेली हूँ जो नमाज़ पढ़ती हूँ और इस्लाम की शिक्षाओं का पालन करने का प्रयास करती हूं, इसीलिए मुझे बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, उन्हीं में से यह है कि मेरी माँ मुझे इशा और फज्र की नमाज़ पढ़ने से रोकती है और कहती है कि वे दोनों अनुचित समय में हैं !! इसके बावजूद मैं उन्हें चुपके से पढ़ लेती हूं, और यदि वह मुझसे आकर पूछती है तो मैं कहती हूँ कि: मैं ने नमाज़ नहीं पढ़ी . . . ! तो इस बारे में शरीअत का प्रावधान क्या है ॽ क्या मेरे लिए ऐसी स्थिति में झूठ बोलना जइज़ है ॽ तथा मैं पिज़्ज़ा रेस्तरां में काम करता थी और यह रेस्तरां सूअर बेचता था इसलिए मैं ने उसे छोड़ दिया, और जब उसने मुझसे पूछा तो मैं ने उससे कहा कि उन्हों ने मुझे निकाल दिया है, तो इस स्थिति में भी शरीअत का दृश्य क्या है ॽ एक दूसरा मुद्दा यह है कि मैं अपनी माँ के साथ ट्रेन से एक दूसरे शहर का सफर करने वाली हूँ और ज़ुहर और अस्र की नमाज़ का समय ट्रेन ही में हो जायेगा, और उस समय मेरे लिए उनकी अदायगी करना संभव न होगा, तो फिर क्या करना होगा ॽ मैं ने सुना है कि नमाज़ों को एकत्र करके पढ़ना जाइज़ है, लेकिन मुझे नहीं पता कि कैसे . . .! क्या इसका मतलब यह है कि मेरे लिए ज़ुहर और अस्र की नमाज़ ज़ुहर की नमाज़ के समय पढ़ना संभव है, और इसे कैसे पढ़ा जायेगा ॽ यह बात निश्चित है कि मैं इशा और फज्र की नमाज़ भी पढ़ने पर सक्षम नहीं हूँगी क्योंकि मेरी माँ मेरे साथ होगी, तो फिर क्या करूँ ॽ क्या दूसरे समय में नमाज़ों की क़जा की जायेगी, और कैसे ॽ इसके अलावा, मेरी माँ मुझे हिजाब पहनने से भी रोकती है, और इस बात पर ज़ोर देती है कि मैं ऐसा पोशाक पहनूँ जो उस समाज और वातावरण के अनुकूल हो जिसमें मैं रहती हूँ, उदाहरण के तौर पर गर्मियों में मुझे छोटे कपड़े पहनने पर मजबूर करती है, और कहती है कि सूरज त्वचा के लिए उपयोगी है . . इन सब के बावजूद, मैं इन दबावों का विरोध करती हूँ, और यथा संभव शालीनता अपनाने का प्रयास करती हूँ, . . लेकिन मैं वास्तव में उस समय उदास और दुखी होती हूँ जब मैं अपनी माँ को देखती हूँ कि वह मुझसे गुस्सा करती है, लेकिन मैं भी अपने धर्म के सिद्धांतों को त्याग नहीं कर सकती, तो क्या आप कोई नसीहत करेंगेॽ
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मैं मुसलमानों के लिए एक वैकल्पिक रेडियो स्टेशन बनाना चाहता हूँ, तथा मैं इस स्टेशन के माध्यम से मुसलमानों और ग़ैर मुसलमानों दोनों को आमंत्रित करना चाहता हूँ, अब तक मेरे विचार यह हैं कि : मैं संगीत वाद्य यंत्र से खाली गीत प्रस्तुत करूँ . . , तो क्या -कृपया- आप मुझे सलाह दे सकते हैं कि मेरे लिए क्या करना जाइज़ है और क्या जाइज़ नहीं है ॽ
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मैं जिस विश्वविद्यालय में पढ़ता हूँ उसमें हम प्रति वर्ष एक निमंत्रण संबंधी सप्ताह संगठित करते हैं, जहाँ हम विश्वविद्यालय में गैर मुसलमानों को विभिन्न तकनीकों का इस्तेमाल करके आमंत्रित करते हैं। इस वर्ष प्रबंधकों ने एक न्या विचार पेश किया है और उन्हों ने यह प्रस्ताव रखा है कि हम एक नमाज़ मस्जिद के बदले विश्वविद्यालय के एक हॉल में पढ़ें, इसका मक़सद इस्लाम के प्रतीकों का प्रदर्शन है, फिर इसके बाद वे इस्लाम के बारे में अधिक प्रश्न करेंगे, किंतु मैं वास्तव में इस तरीक़े की वैधता से संतुष्ट नहीं हूँ, क्योंकि यदि यह सफल रहा तो आने वाले वर्षों में दोहराया जायेगा। तो इस तरह के काम का क्या हुक्म है ? और क्या अगर यह प्रति वर्ष किया जाये तो बिद्अत की गणना में आयेगा ?
- हिन्दी मुफ्ती : मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद
अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) जिस दिन पैदा हुए उसका क्या महत्तव है, तथा उस दिन को कब और कैते मनाया जाता है ?
- हिन्दी मुफ्ती : मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद
मैं एक अवधि से इस्लाम को व्यवहार में ला रही हूँ और यदि अल्लाह ने चाहा तो मैं उसे स्वीकार करने की इच्छा रखती हूँ, लेकिन मुझे कुछ खतरनाक समस्याओं का सामना है। मैं और मेरे पति एक अवधि से वैवाहिक समस्याओं से जूझ रहे हैं, बावजूद इसके कि मामला ठीक ठाक चल रहा है किंतु मै सुनिश्चित नहीं हूँ कि स्थिति सदा इसी तरह बनी रहेगी क्योंकि उसे सख्त क्रोध के दौरे पड़ते हैं, और जब से हमारे वकील ने मुझे इसकी सलाह दी है, मैं गंभीरता से उससे अलग होने के बारे में सोच रही हूँ। समस्या यह है कि अब मुझे उससे प्यार नहीं है, इसके अलावा वह मुझे इस्लाम स्वीकारने से रोकता है तथा वह स्वयं भी इस्लाम स्वीकार करने से इनकार करता है, और उसका कहना है कि वह मेरे इस्लाम क़बूल करने पर हमारे अलग हो जाने को प्राथमिकता देगा। दूसरी समस्या यह है कि मेरे पास दो बेटियाँ हैं जो एक हिंदू स्कूल में पढ़ रही हैं, तो मेरे इस्लाम में प्रवेश करने के बाद उन दोनों से संबंधित शरीअत का हुक्म (प्रावधान) क्या है। मेरी मुलाक़ात एक मुसलमान व्यक्ति से हुई है जिससे मैं प्यार करती हूँ और वह भी मुझे बहुत प्यार करता है, वह मुझसे दो बार शादी करने का अनुरोध कर चुका है, ज्ञात रहे कि मैं उसके साथ नहीं सेती हूँ और न ही इसतरह की कोई चीज़ मेरे दिल में है। और वह मेरी दोनों बेटियों को स्वीकार करने के लिए तैयार है यदि वे दोनों भी इस्लाम में प्रवेश कर लेती हैं। उसने कहा है कि वह साल के अंत तक प्रतीक्षा करेगा उसके बाद वह अपने मामले में व्यस्त हो जायेगा, क्योंकि कुछ अन्य महिलाएं भी हैं जिनके साथ वह घर बसा सकता है, परंतु वह मुझे उनपर प्राथमिकता देता है। मुझे बहुत सी चीज़ों के अंदर अपने मामले में सावधानी और दूरदर्शिता से काम लेने की आवश्यकता है, इसके होते हुए भी में अपने पति के प्रति खेद और पाप का आभास करती हूँ, क्योंकि वह हमारे विवाह को सफल बनाने की चेष्टा करता है। लेकिन खेद की बात यह हैं कि धर्म बहुत बड़ी रूकावट बनता है।
- हिन्दी मुफ्ती : मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद
मैं एक हिंदू हूँ, मेरे अंदर इस्लाम के प्रति मज़बूत रूझान और झुकाव पैदा हो गया है। आपकी वेबसाइट की तरह वेबसाइट पृष्ठ मेरे जैसे लाखों युवाओं के लिए अल्लाह की ओर से एक दया है। निकट ही यदि अल्लाह की इच्छा हुई तो मैं इस्लामी दुनिया से अपनी संबंद्धता की घोषणा करूँगा। आशा है कि आप मेरे लिए इस्लाम धर्म में प्रवेश करने के लिए दुआ करेंगे। तथा मुझे आशा है कि - अल्लाह की तौफीक़ से - ये अच्छे कार्य जिसे आप जैसे लोग अंजाम दे रहे हैं, जारी रहेंगे।
- हिन्दी मुफ्ती : मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद
मैं जिस विश्वविद्यालय में पढ़ता हूँ उसमें मुसलमानों की असंख्या अधिक नहीं है। यहाँ तक कि जो मुसलमान वहाँ मौजूद हैं उनके पास दीन का अधिक ज्ञान नहीं है। विश्वविद्यालय में मेरे अधिकांश ग़ैर मुस्लिम मित्र मुझसे इस्लाम के बारे में प्रश्न करते रहते हैं, और यह आमतौर पर हमारे बीच लोगों से हटकर एकांत में होता है, तो क्या उन्हें इस्लाम से संतुष्ट करने के उद्देश्य से ऐसा करना जाइज़ है ?