मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद - फत्वे
आइटम्स की संख्या: 72
- हिन्दी मुफ्ती : मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
नए हिज्री वर्ष के अवसर पर "कुल्लो आमिन् व अन्तुम बिख़ैर" (अर्थात तुम हर वर्ष कुशल मंगल रहो) कहते हुए या आशीर्वाद की प्रार्थना (कामना) करते हुए बधाई देने का क्या हुक्म है, इसी तरह कोई संदेश या ग्रीटिंग कार्ड भेजना जिस में प्रेषित के लिए उस के नए वर्ष में भलाई और आशीर्वाद की दुआ करना।
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मैं आप से निवेदन करता हूँ कि मुझे और मेरे भाईयों को सोने, या सोने और चाँदी के उन आभूषणों के ज़कात के विषय में जानकारी दें जो इस्तेमाल के लिए तैयार किये गये हैं, खरीद और बिक्री के लिए नहीं हैं। क्योंकि कुछ लोग कहते हैं कि : सोने और चाँदी के जो गहने पहनने के लिए हैं उन में ज़कात नहीं है, और कुछ दूसरे लोगों का कहना है कि : उन में ज़कात अनिवार्य है चाहे वे इस्तेमाल के लिए हों, या व्यपार के लिए हों, और यह कि इस्तेमाल के लिए तैयार किए गए गहनों में ज़कात के बारे में वर्णित हदीसें, उन हदीसों से अधिक मज़बूत हैं जो उन में ज़कात न होने के बारे में वर्णित हैं, आप से आशा है कि कृपया मेरे प्रश्न का उत्तर दें गे।
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मैं एक कर्मचारी हूँ, मेरा मासिक वेतन 2,000 सऊदी रियाल है। परिवार के सभी सदस्य मेरे ऊपर निर्भर करते हैं और सभी खर्चे मैं अपने वेतन से देता हूँ। मेरे पास एक पत्नी, एक बेटी, मेरे मात पिता और भाई भहनें हैं जिन पर मैं खर्च करता हूँ। लेकिन प्रश्न यह है कि मैं अपने माल की ज़कात कैसे दूँ जबकि मेरे धन का स्रोत केवल मेरा वेतन है, परन्तु मेरा संपूर्ण वेतन मेरे परिवार पर खर्च हो जाता है ? इसलिए मैं अपनी ज़कात कब दूँ ? कुछ लोगों का कहना है कि वेतन खेती की तरह है, उस में एक साल के बीतने का ऐतिबार नहीं है, इसलिए जब भी वेतन प्राप्त हो उस में ज़कात अनिवार्य है।
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मैं अपनी और अपने बच्चों की तरफ से क़ुर्बानी करने की इच्छा रखता हूँ, तो क्या क़ुर्बानी के जानवर के कुछ निर्धारित गुण और विशेषतायें हैं ? या मेरे लिए किसी भी बकरी की क़ुर्बानी करना उचित है ?
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हज्ज के अनिवार्य होने की शर्तें क्या है?
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हम एक मोरक्को संघ के सदस्य बार्सिलोना में रहते हैं, वह कौन सा तरीक़ा है जिस से हम ज़कातुल फित्र की गणना करें?
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हम, ब्रिटेन में एक इस्लामी केन्द्र के प्रबंधक, यह चाहते हैं कि अपने केन्द्र में नमाज़ियों के लिए पवित्र रमज़ान के महीने की शुरूआत और अन्त की एक तिथि निर्धारित कर दें, हमारा लक्ष्य मुसलमानों को एकजुट करने का प्रयास है इस प्रकार कि इस विषय पर उनके विचार को एकजुट करने के लिए हम हर सम्भव प्रयास करते हैं, उन में से कुछ का दृष्टिकोण चाँद के दर्शन का एतिबार करना है, और कुछ लोगों का विचार खगोलीय गणना का पालन करने का है। और यूरोपीय फत्वा परिषद का भी इस विषय में एक विचार है, जबकि ज्ञात होना चाहिए कि यूरोप में मुसलमानों के लिए यही परिषद फत्वा जारी करती है। हमारा प्रश्न यह है कि : क्या हमें यूरोपीय परिषद का पालन करना चाहिए यद्यपि वह खगोलीय गणना पर चलती हो? या कि हम ने अपने नगर की मिस्जदों में मुसलमानों को एकजुट करने का जो प्रयास किया है उसी पर बाक़ी रहें यद्यपि वह यूरोपीय परिषद के विचार के विरूद्ध हो?
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समलैंगिकता (Homosexuality and Lesbianism) को इस्लाम में हराम (वर्जित) क्यों समझा जाता है? मैं जानता हूँ कि यह हराम (निषिद्ध) है किन्तु इसका कारण क्या है? और क़ुर्आन और हदीस में इसके बारे में क्या वर्णन हुआ है?
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मैं ने पढ़ा है कि वो बरतन, चम्मच और चाकू जिन में सुअर का मांस लग गया हो, उन्हें सात बार पानी से और एक बार मिट्टी से धोना अनिवार्य है। क्या यह सहीह है? इस हुक्म का आधार किस हदीस पर है? क्या बरतनों को एक बार साबुन से धोना प्रयाप्त नही है?
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जब मैं छोटी थी तो मैं ने अपने परिवार वालों के साथ विदेश का सफर किया, यात्रा के दौरान हमें सुअर तत्व युक्त बिस्कुट दिया गया। जब मेरी मां को इसका पता चला तो उन्हों ने हमें खाने से रोक दिया। जैसाकि मुझे याद आ रहा है कि हम ने अपने हाथ और मुँह पानी और मिट्टी से (एक बार मिट्टी समेंत सात बार) नहीं धुले थे। जैसाकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का आदेश है कि जब कोई व्यक्ति सुअर या उसका कोई भाग छू लेने पर करे। कुछ वर्षों के बाद मैं अपने देश से बाहर थी और गलती से पोर्क खा लिया और अपने मुँह को पानी और मिट्टी से नहीं धोया। ये दोनों मामले कुछ वर्षों पहले पेश आये थे। मेरे मुँह या हाथ पर सुअर का कोई प्रभाव, स्वाद, या गंध या रंग बाक़ी नहीं था, तो क्या अब ज़रूरी है कि हम उन्हें धुल लें। मुझे भय है कि इन दोनो मामलों के कारण अल्लाह हमारी नमाज़ को नहीं करेगा। कृप्या इसका स्पष्टीकरण करें।
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मैं माल्टा में रहने वाला एक अरब मूल का व्यक्ति हूँ, मैं सुअर के मांस के निषिध होने का कारण जानना चाहता हूँ, क्योंकि मेरे साथ काम करने वाले दोस्तों ने मुझ से इसके बारे में पूछा है।
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इस्लाम ने पोर्क को क्यों वर्जित ठहराया है, जबकि वह अल्लाह के प्राणियें में से एक प्राणी है ? तो फिर अल्लाह ने सुअर को पैदा क्यों किया है ?!