अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह - लेख
आइटम्स की संख्या: 102
- हिन्दी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
इस लेख में सृष्टा के अस्तित्व, उसकी एकता तथा उसके प्रमाणों का उल्लेख करते हुए, इंसान की तबाही और मनुष्य के जीवन में अशांति का वास्तविक कारण स्पष्ट किया गया है, और वह मनुष्य का अपने वास्तविक शासक और पूज्य को भुला बैठना है। अतः जब तक मनुष्य एक ईश्वर पर विश्वास नहीं रखता और अपने सभी कार्यों के प्रति उसके समक्ष जवाबदेह होने का आस्था नहीं रखता है, उस समय तक शांति सेथापित नहीं हो सकती।
- हिन्दी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
नमाज़े-वित्र उन नमाज़ों में से है जिन्हें पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने पाबंदी के साथ पढ़ी है, बल्कि आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इसे सफर में भी नहीं छोड़ा है। इसकी विभिन्न संख्याएं और उनके पढ़ने के विभिन्न तरीक़े हैं। उसकी कम से कम संख्या एक रक्अत है और नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से तेरह रक्अतों तक वित्र पढ़ना साबित है। इस लेख में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से साबित वित्र की विभिन्न संख्याओं और उनके पढ़ने के तरीक़े, दिन में वित्र की क़ज़ा और अन्य संबंधित बातों का उल्लेख किया गया है।
- हिन्दी लेखक : अब्दुल मलिक अल-क़ासिम अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
इस लेख मे इस्लामी जन्त्री के अन्तिम महीने ज़ुल-हिज्जा के प्राथमिक दस दिनों की फज़ीलत तथा उन नेक कामों का उल्लेख किया गया है जिन्हें इन दिनों में करना उचित है। साथ ही साथ इन दस दिनों में घटित होने वाली एक महत्वपूर्ण इबादत क़ुर्बानी और एक महान पर्व ईदुल अज़हा के अहकाम का उल्लेख किया गया है।
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
धन जीवन की रीढ़ की हड्डी और उसका आधार है, जिसके द्वारा इस्लामी शरीअत का उद्देश्य एक संतुलित समाज की स्थापना है जिस में सामाजिक न्याय का बोल बाला हो जो अपना तभी सदस्यों के लिए आदरणीय जीवन का प्रबंध करता है। और जब इस्लाम की दृष्टि में धन उन आवश्यकताओं में से एक है जिस से व्यक्ति या समूह बेनियाज़ नहीं हो सकते, तो अल्लाह तआला ने उसके कमाने और खर्च करने के तरीक़ों से संबंधित कुछ नियम बनाये हैं। इस लेख में संछिप्त रूप से उसी का उल्लेख किया गया है।
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
ज़कात इस्लाम के कर्तव्यों में से एक महान कर्तव्य और उसका तीसरा महत्वपूर्ण स्तंभ है, जिसे अल्लाह तआला अपनी किताब में अनिवार्य किया है और अल्लाह के पैग़ंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने स्वयं ज़कात वसूल किया है और जिस पर ज़कात अनिवार्य है उस से वसूल करने का आदेश दिया है। इस लेख में ज़कात का हुक्म, उसके अनिवार्य होने प्रमाण, उसको रोकने या उसमें कंजूसी करने वाले के हुक्म का उल्लेख किया गया है। तथा जिन धनों में ज़कात अनिवार्य उनके प्रकार, उनका निसाब, अनिवार्य मात्रा, ज़कात निकालने का तरीक़ा और उसके हक़दार लोगों का वर्णन किया गया है।
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
इस लेख में रमज़ान से लाभान्वित होने वाले कुछ पाठ का निम्नलिखित बिन्दुओं के द्वारा उल्लेख किया गया है : 1- रमज़ान सब्र (धैर्य) का महीना है 2- रमज़ान दानशीलता, एहसान व भलाई और सिला-रहमी (रिश्तेदारी निभाने) का महीना है 3- रमज़ान जिहाद, विजय और फुतूहात का महीना है 4- रमज़ान क़ुरआन और क़ियामुल्लैल का महीना है 5- रमज़ान भाईचारा और प्रेम का महीना है 6- रमज़ान गुनाहों की माफ़ी और नरक से मुक्ति का महीना है 7- रमज़ान तौबा और तक्वा का महीना है 8- रमज़ान इख्लास और सच्चाई का महीना है
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
पवित्र क़ुर्आन मानवता के नाम अल्लाह का सर्व कालिक और अन्तिम संदेश है, जो मानवता की लौकिक और पारलौकिक हितों के मार्गदर्शन पर आधारित है, जो सत्य और असत्य, मार्गदर्शन और पथभ्रष्टता, सौभाग्य और दुर्भाग्य के बीच अन्तर स्पष्ट करता है। वह महीना जिस में मानवता को यह सौभाग्य प्राप्त हुआ, वह रमज़ान का ही शुभ महीना है। इसलिये हमारे अति उचित है कि हम विशेष रूप इस मुबारक महीने में इस महान ग्रंथ का पाठ करने, उसे पढ़ने-पढ़ाने, सीखने-सिखाने, उसमें मननचिंतन करने और उसके अनुसार कार्य करने पर भरपूर ध्यान दें। इस पर हमें क्या लाभ मिलेगा ? पढ़िये इस लेख में।
- हिन्दी लेखक : मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
इस लेख मे तरावीह की नमाज़ का हुक्म, उसकी फज़ीलत, उसकी रक्अतों की संख्या और उसकी अदायगी का मस्नून तरीक़ा उल्लेख किया गया है।
- हिन्दी लेखक : मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
इस्लाम के गुणों में से एक महान गुण यह भी है कि उसने लोगों की आवश्यकताओं और उनकी परिस्थितियों का बहुत ध्यान रखा है और जहाँ भी उन्हें कठिनाई और कष्ट का सामना होता है, वहाँ उनके लिए आसानी का नियम और संविधान पस्तुत करता है, उन्हीं में से एक बीमार और मुसाफिर के रोज़े का मस्अला भी है। इस लेख मे बीमार और मुसाफिर के रोज़े का हुक्म तथा बीमारी और सफर के विभिन्न प्रकार उल्लेख किये गये है जिनमें उनके लिए रोज़ा तोड़ने की रूख्सत प्राप्त होती है या उन्हें इसकी छूट नहीं मिलती है।
- हिन्दी लेखक : मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
रोज़ा –व्रत-जिसे अल्लाह तआला ने अपने बंदों पर अनिवार्य किया है, उसके अंदर बहुत बड़ी तत्वदर्शिता और ढेर सारे फायदे और लाभ हैं, जिन से एक रोज़ा रखने वाला लाभान्वित होता है। इस लेख में इसी का उल्लेख किया गया है।
- हिन्दी लेखक : मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
इस लेख में क़ुरआन, हदीस और मुसलमानों की सर्वसम्मति के द्वारा रोज़े का हुक्म, तथा किन लोगों पर रोज़ा अनिवार्य है और इस फ़रीज़ा का इनकार करने वाले का हुक्म उल्लेख किया गया है।
- हिन्दी लेखक : नाईफ बिन अहमद बिन अली अलहमद अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
यह लेख यात्रा से संबंधित कुछ अहकाम पर आधारित है, जिस में इस्लामी दृष्टिकोण से यात्रा के प्रकार, यात्री को यात्रा के कारण प्रदान की जाने वाली रूख्सतें और आसानियाँ, सफर की रूख्सतों से लाभान्वित होने की शर्तें, सफर के आदाब और ग़ैर इस्लामी देशों का सफर करने की शर्तों पर प्रकाश डाला गया है।
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
उसमान बिन अफ्फान रज़ियल्लाहु अन्हु के जीवन की कुछ झलकियाँ : इस लेख में मुसलमानों के तीसरे खलीफी उसमान बिन अफ्फान रज़ियल्लाहु अन्हु की जीवनी, आपकी विशेषताओं और महत्वपूर्ण उपलब्धियों के बारे में कुछ झलकियाँ प्रस्तुत की गई हैं।
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
इस्लाम धर्म एक संपूर्ण व्यापक धर्म है जो जीवन के सभी छेत्रों को घेरे में लिये हुये है। मानव जीवन का कोई ऐसा छेत्र नहीं है जिसके बारे में इस्लाम के अंदर कोई मार्गदर्शन मौजूद न हो। प्रस्तुत लेख में इस्लामी शिष्टाचार के कुछ पहलुओं को उजागर किया गया है जिन से सुसज्जित होने का इस्लाम ने मुसलमानों को आदेश किया है, उदाहरण स्वरूप खान-पान के आदाब, सोने जागने के आदाब, बैठक और सभा के आदाब, शौच के आदाब, यात्रा के आदाब...इत्यादि।
- हिन्दी लेखक : नसीम ग़ाज़ी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
यह पुस्तिका वास्तव में एक पत्र है जिसे एक नव-मुस्लिम ने अपनी माँ के नाम लिखा है, जिस में उसने अपनी माँ को इस्लाम के वास्तविक संदेश से अवगत कराते हुये यह स्पष्ट किया है कि उसने इस्लाम धर्म क्यों स्वीकार किया है। तथा इस्लाम के बारे में अपनी माँ के अशुद्ध विचारों, ग़लतफह्मियों और आशंकाओं का निवारण किया है।
- हिन्दी लेखक : मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
अप्रेल के प्रथम दिन को अप्रेल फूल मनाया या बनाया जाता है, जिस दिन लोग बिना किसी आचार संहिता के एक दूसरे को मूर्ख बनाने के लिए दिल खोल कर झूठ बोलते हैं, ऊट पटांग बाते कहते हैं, झूठे आरोप लगाते हैं, गलत सूचनाओं से उन्हें भयभीत करते हैं...इत्यादि। इस्लाम धर्म इन बातों से रोकता और इनका विरोध करता है, विशुद्ध मानव प्रकृति और स्वस्थ बुद्धि भी इसे नकारते हैं।
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
इस्लाम धर्म में सबसे सुदृढ़ और सर्वोच्च संबंध और बंधन इस्लामी भाईचारा है, इसीलिए एक मुसलमान के प्रति दूसरे मुसलमान पर अनेक अधिकार अनिवार्य हैं जिनकी पूर्ति करना हर मुसलमान का कर्तव्य है, उन्हीं में से एक कर्तव्य मुसलमान भाई की सहायता करना, संकट में उसके साथ खड़ा होना तथा उसकी सहायता पर शक्तिवान होते हुए उसको असहाय न छोड़ना है। क़ुर्आन और हदीस में इसके क्या प्रमाण हैं? पढ़िये इस लेख में।
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
किसी चीज़ को मनहूस –अशुभ- समझना या उस से अपशकुन और बदफाली लेना जाहिलियत –अज्ञानता- के युज्ञ की परंपराओं में से है, जिसका इस्लाम ने खण्डन किया है और उसे अल्लाह पर दृढ़ विश्वास,संपूर्ण तवक्कुल व भरोसा के विरुद्ध घोषित किया है। जाहिलियत के समय के अरब जिन चीज़ों से अपशकुन लिया करते थे उन्हीं मे से एक इस्लामी केलेण्डर के द्वितीय मास सफर से अपशकुन लेना है,जिसका प्रभाव किसी न किसी रूप में आज तक के मुसलमानों में भी दिखायी देता है। इस लेख में इस्लामी दृश्य से इस पर प्रकाश डाला गया है।
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
उमर फारूक़ रज़ियल्लाहु अन्हु के जीवन की कुछ झलकियाँ : उमर फारूक़ रज़ियल्लाहु अन्हु ही वह दूसरे व्यक्ति है जिनका पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अपने पश्चात अनुसरण करने का आदेश दिया था। अबू बक्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु अन्हु ने अपने बाद आप को ख़लीफा नामज़द किया। आप के शासन काल में अनेक प्राथमिकताएं जन्मित हुईं और बाहुल्य रूप से फुतूहात हुईं। रूम व फारिस के देश आप के कार्यकाल में पराजित किए गए और उसके खजाने आप के पास लाए गए, किन्तु आप के कपड़े पर 10 से अधिक पैवंद लगे होते थे। आप के जीवन के विषय में अधिक जानकारी के लिए यह लेख पढ़िए ।
- हिन्दी लेखक : रिसर्च डिवीज़न दारुल-क़ासिम अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
इस लेख में मुहर्रम के महीने और विशिष्ट रूप से उसकी दसवीं तारीख (आशूरा के दिन) की फज़ीलत, महत्व और उस दिन रोज़ा रखने के अज्र व सवाब और प्रतिफल का उल्लेख किया गया है। साथ ही साथ आत्म-निरीक्षण (नफ्स के मुहासबा) के महत्व को स्पष्ट किया गया है, विशेषकर नये वर्ष के प्रारम्भ पर।