अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह - वीडियो
आइटम्स की संख्या: 49
- हिन्दी भाषणकर्ता : अताउर्रहमान अब्दुल्लाह सईदी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
ज़कातुल फित्रः इस वीडियो में ज़कातुल फित्र की अनिवार्यता, उसके प्रावधान, उसके अनिवार्य किए जाने की हिकमत (तत्वदर्शिता), उसकी मात्रा, उसके निकाले जाने का समय ओर उसके हक़दार लोगों का उल्लेख किया गया है।
- हिन्दी भाषणकर्ता : अताउर्रहमान अब्दुल्लाह सईदी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
प्रस्तुत वीडियो में रमज़ान के महीने के रोज़े की अनिवार्यता, उसके अर्थ, रमज़ान के महीने की फज़ीलत, क़ुरआन व हदीस से उसकी अनिवार्यता के प्रमाणों, और रोज़े की तत्वदर्शिता का उल्लेख किया गया है। इसी तरह रोज़े के कुछ प्रावधानों, जैसे- रोज़े की नीयत, और बिना किसी कारण के रोज़ा तोड़ देने या उसमें लापरवाही करने पर चेतावनी दी गई है और उसके दुष्परिणाम से अवज्ञत कराया गया है
- हिन्दी भाषणकर्ता : फैज़ुल्लाह अल-मदनी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
इस वीडियो में उल्लेख किया गया है कि शाबान के महीने की क्या फज़ीलत है, नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम विशिष्ट रूप से इस महीने में क्या कार्य करते थे, तथा पंद्रहवीं शाबान की रात को जश्न मनाने और उसमें हज़ारी नमाज़ पढ़ने, विशिष्ट इबादतें करने, उस दिन रोज़ा रखने, तथा आधे शाबान के बाद रोज़ा रखने, रमज़ान से एक-दो दिन पूर्व रोज़ा रखने और शक्क के दिन रोज़ा रखने के अह्काम स्पष्ट किए गए हैं।
- हिन्दी भाषणकर्ता : मक़्सूदुल हसन फैज़ी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
मुहर्रमुल-हराम का महीना हुर्मत व अदब और प्रतिष्ठा वाला महीना है। इसी महीने की दसवीं तारीख को (आशूरा के दिन) अल्लाह तआला ने पैगंबर मूसा अलैहिस्सलाम को फिरऔन से मुक्ति प्रदान की। जिस में रोज़ा रखना मुस्तहब है, जो कि पिछले एक वर्ष के गुनाहों का कफ्फारा हो जाता है। किन्तु अधिकांश मुसलमान इस से अनभिग हैं और इस महीने की हुर्मत को भंग करते हुए इसे शोक प्रकट करने, नौहा व मातम करने और सीना पीटने...आदि का महीना बना लिया है। इस महीने का एक पहलू यह भी है कि इसी से इस्लामी वर्ष का आरंभ होता है। परंतु यह भी एक तथ्य है कि इसके प्रवेष करते ही हर साल यज़ीद, कर्बला की घटना और उसमें घटित होना वाली हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हु की शहादत के बारे में चर्चा शुरू हो जाती है। जिसमें सहाबा किराम रज़ियल्लाहु अन्हुम तक को निशाना बनाने, बुरा-भला कहने, धिक्कार करने में संकोच नहीं किया जाता है। राफिज़ा-शिया की तो बात ही नहीं करनी ; क्योंकि उनका तो यही धर्म है, मगर खेद की बात यह है कि बहुत से अहले सुन्नत वल जमाअत से निस्बत रखनेवाले लोग भी राफिज़ा-शिया का राग अलापते हैं और बिना, सत्यापन, जाँच-पड़ताल और छान-बीन के उन्हीं की डगर पर चलते नज़र आते हैं। प्रस्तुत व्याख्यान में यज़ीद के बार में अहले सुन्न वल जमाअत के पूर्वजों और वरिष्ठ विद्वानों के कथनों और उनके विचारों का सविस्तार उल्लेख किया गया है।
- हिन्दी भाषणकर्ता : मक़्सूदुल हसन फैज़ी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
मुहर्रमुल-हराम का महीना हुर्मत व अदब और प्रतिष्ठा वाला महीना है। इसी महीने की दसवीं तारीख को (आशूरा के दिन) अल्लाह तआला ने पैगंबर मूसा अलैहिस्सलाम को फिरऔन से मुक्ति प्रदान की। जिस में रोज़ा रखना मुस्तहब है, जो कि पिछले एक वर्ष के गुनाहों का कफ्फारा हो जाता है। किन्तु अधिकांश मुसलमान इस से अनभिग हैं और इस महीने की हुर्मत को भंग करते हुए इसे शोक प्रकट करने, नौहा व मातम करने और सीना पीटने...आदि का महीना बना लिया है। इस महीने का एक पहलू यह भी है कि इसी से इस्लामी वर्ष का आरंभ होता है। परंतु यह भी एक तथ्य है कि इसके प्रवेष करते ही हर साल यज़ीद, कर्बला की घटना और उसमें घटित होना वाली हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हु की शहादत के बारे में चर्चा शुरू हो जाती है। जिसमें सहाबा किराम रज़ियल्लाहु अन्हुम तक को निशाना बनाने, बुरा-भला कहने, धिक्कार करने में संकोच नहीं किया जाता है। राफिज़ा-शिया की तो बात ही नहीं करनी ; क्योंकि उनका तो यही धर्म है, मगर खेद की बात यह है कि बहुत से अहले सुन्नत वल जमाअत से निस्बत रखनेवाले लोग भी राफिज़ा-शिया का राग अलापते हैं और बिना, सत्यापन, जाँच-पड़ताल और छान-बीन के उन्हीं की डगर पर चलते नज़र आते हैं। प्रस्तुत व्याख्यान में यज़ीद के बार में अहले सुन्न वल जमाअत के पूर्वजों और वरिष्ठ विद्वानों के कथनों और उनके विचारों का सविस्तार उल्लेख किया गया है।
- हिन्दी भाषणकर्ता : मक़्सूदुल हसन फैज़ी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
मुहर्रमुल-हराम का महीना हुर्मत व अदब और प्रतिष्ठा वाला महीना है। इसी महीने की दसवीं तारीख को (आशूरा के दिन) अल्लाह तआला ने पैगंबर मूसा अलैहिस्सलाम को फिरऔन से मुक्ति प्रदान की। जिस में रोज़ा रखना मुस्तहब है, जो कि पिछले एक वर्ष के गुनाहों का कफ्फारा हो जाता है। किन्तु अधिकांश मुसलमान इस से अनभिग हैं और इस महीने की हुर्मत को भंग करते हुए इसे शोक प्रकट करने, नौहा व मातम करने और सीना पीटने...आदि का महीना बना लिया है। इस महीने का एक पहलू यह भी है कि इसी से इस्लामी वर्ष का आरंभ होता है। परंतु यह भी एक तथ्य है कि इसके प्रवेष करते ही हर साल यज़ीद, कर्बला की घटना और उसमें घटित होना वाली हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हु की शहादत के बारे में चर्चा शुरू हो जाती है। जिसमें सहाबा किराम रज़ियल्लाहु अन्हुम तक को निशाना बनाने, बुरा-भला कहने, धिक्कार करने में संकोच नहीं किया जाता है। राफिज़ा-शिया की तो बात ही नहीं करनी ; क्योंकि उनका तो यही धर्म है, मगर खेद की बात यह है कि बहुत से अहले सुन्नत वल जमाअत से निस्बत रखनेवाले लोग भी राफिज़ा-शिया का राग अलापते हैं और बिना, सत्यापन, जाँच-पड़ताल और छान-बीन के उन्हीं की डगर पर चलते नज़र आते हैं। प्रस्तुत व्याख्यान में यज़ीद के बार में अहले सुन्न वल जमाअत के पूर्वजों और वरिष्ठ विद्वानों के कथनों और उनके विचारों का सविस्तार उल्लेख किया गया है।
- हिन्दी भाषणकर्ता : अताउर्रहमान अब्दुल्लाह सईदी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
प्रस्तुत वीडियो में इस्लाम के पाँचवे स्तंभ अल्लाह के पवित्र व सम्मानित घर ’काबा’ के हज्ज के वर्णन पर आधारित है। इसमें हज्ज की परिभाषा, उसकी अनिवार्यता, उसकी प्रतिष्ठा व महानता और इस्लाम धर्म में उसके महत्वपूर्ण स्थान का उल्लेख करते हुए ’’हज्ज मबरूर’’ की शर्तों और हज्ज के धार्मिक व सांसारिक लाभों का वर्णन किया गया है। इसी तरह हज्ज के अर्कान व वाजिबात, हज्ज के भेदों, मीक़ात यानी हज्ज के निर्घारित स्थानों, मीक़ात पर किए जाने वाले कामों, एहराम की विधि, एहराम बाँधने के बाद निषिद्ध हो जाने वाली चीज़ों, मस्जिदे हराम –मक्का मुकर्रमा- पहुँचकर मोहरिम को क्या करना चाहिए, तथा हज्ज की संपूर्ण प्रक्रिया का संक्षेप उल्लेक किया गया है।
- हिन्दी भाषणकर्ता : ज़फरुल हसन मदनी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के संदेश की महानता : इसमें कोई संदेह नहीं कि पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर अवतरित संदेश मानवजाति के लिए अल्लाह का सबसे संपूर्ण और अंतिम संदेश है। इसलिए मानवजाति के लिए इस दुनिया में सौभाग्य और परलोक में मोक्ष प्राप्त करने का एकमात्र रास्ता पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के लाए हुए अंतिम ईश्वरीय संदेश का अनुसरण व पालन करना है। प्रस्तुत व्याख्यान में, हमारे पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के संदेश की महानता के कुछ पहलुओं का वर्णन किया गया है।
- हिन्दी भाषणकर्ता : अबू ज़ैद ज़मीर संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
हर साल १४ फरवरी को वैलेंटाइन्स दिवस या प्रेमियों का त्योहार या "संत वेलेंटाइन दिवस" मनाना युवा मुसलमानों के बीच बड़े पैमाने पर एक व्यापक घटना बन गया है। प्रस्तुत वीडियो में, इस अधार्मिक परंपरा की बुराई, इसकी उत्पत्ति, उसके इतिहास, उसके बारे में इस्लाम के दृष्टिकोण, समाज पर उसके बुरे प्रभावों और गंभीर खतरों का खुलासा किया गया है। इसी तरह युवाओं और युवतियों के बीच मिश्रण, प्रेम प्रसंग और अवैध संबंध की बुराइयों और उनके दूरगामी दुष्ट परिणामों से सावधान किया गया है।