- वर्गीकरण वृक्ष
- क़ुरआन और उसके विज्ञान
- क़ुरआन में मननचिंतन, उसकी प्रतिष्ठा, उसका हिफ़्ज़ और तिलावत के शिष्टाचार
- तफ़सीर (क़ुरआन की व्याख्या)
- कुरआन के विज्ञान
- मुसहफ (क़ुरआन की प्रतियाँ)
- मसाहिफ़ और क़ुरआन करीम के पाठ
- क़ुरआन करीम के अर्थों का अनुवाद
- पढ़े जाने योग्य उत्कृष्ट अनुवाद
- क़ुरआन के अर्थों के अनुवाद के साथ सस्वर पाठ
- विशिष्ट तिलावतें
- नोबल क़ुरआन और उसके वाहकों के शिष्टाचार
- हदीस और उसका विज्ञान
- अक़ीदा (आस्था)
- तौहीद (एकेश्वरवाद)
- इबादत (उपासना)
- दावत और इस्लामी संस्कृति
- ईमान
- ईमान के मसायल
- एहसान
- कुफ्र (नास्तिकता)
- निफाक़ (पाखण्ड)
- शिर्क (अनेकेश्वरवाद)
- बिदअत (नवाचार)
- सहाबा और आले-बैत
- तवस्सुल
- वलायत और औलिया की करामत
- जिन्न, जादू और शोबदाबाज़ी
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- वफादारी और दुश्मनी
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- धर्मशास्त्र और उसके विज्ञान
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- क़ुरआन और उसके विज्ञान
अक़ीदा (आस्था)
आइटम्स की संख्या: 35
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
अल्लाह कौन हैः प्रस्तुत लेख में अल्लाह सर्वशक्तिमान के नाम का परिचय कराते हुए, अल्लाह के अस्तित्व और उसकी विशेषताओं के तथ्य तक पहुँचने के रास्ते का उल्लेख किया गया है।
- हिन्दी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
उसकी रचनाएँ उसका पता देती हैंः इस ब्रह्माण्ड में अल्लाह की अनगिनत रचनाएँ जो उसके अस्तित्व का सबसे महान प्रमाण हैं। प्रस्तुत लेख में पवित्र क़ुरआन में वर्णित कुछ चमत्कारों का उल्लेख किया गया है जिनसे अल्लाह के अस्तित्व का स्पष्ठ संकेत मिलता है।
- हिन्दी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
एकेश्वरवाद की वास्तविकता व अपेक्षाएं : एकेश्वरवाद ही सभी संदेष्टाओं के मिशन का आधार रहें है। अल्लाह सर्वशक्तिमान को उसके सर्वसंसार का एकमात्र सृष्टा, पालनहार और उपास्य व पूज्य होने, तथा उसके नामों और गुणों में उसे एकता मानने का नाम एकेश्वरवाद है। यह धारणा अगर विश्वास बन जाए तो मनुष्य और उसके जीवन पर बहुत गहरा, व्यापक और जीवंत व जीवन-पर्यंत सकारात्मक प्रभाव डालती है। लेकिन यह उसी समय संभव होता है जब एकेश्वरवाद की वास्तविकता भी भली-भांति मालूम हो तथा उसकी अपेक्षाएं (तक़ाज़े) अधिकाधिक पूरी की जाएं। वरना ऐसा हो सकता है और व्यावहारिक स्तर पर ऐसा होता भी है कि एक व्यक्ति ’एक ईश्वर’ को मानते हुए भी जानते-बूझते या अनजाने में अनेकेश्वरवादी (मुशरिक) बन जाता, तथा एकेश्वरवाद के फ़ायदों और सकारात्मक प्रभावों से वंचित रह जाता है। अनेकेश्वरवाद क्या है, इसे समझ लेना एकेश्वरवाद की वास्तविकता को समझने के लिए अनिवार्य है। प्रस्तुत लेख में इसका वर्णन किया गया है।
- हिन्दी
प्रस्तुत लेख में इस्लामी कैलेंडर के प्रथम महीने मुहर्रम का चर्चा करते हुए इस महीने की दसवीं तारीख को रोज़ा रखने की फज़ीलत का उल्लेख किया गया है। इसी तरह इस रोज़े की एतिहासिक पृष्ठभूमि की ओर भी संकेत किया गया है कि किस तरह अल्लाह ने इसी दिन अपने एक महान पैगंबर मूसा अलैहिस्सलाम और उनकी क़ौम को फिरऔन जैसे कुख्यात अहंकारी से मुक्ति प्रदान किया, जिसका आभारी होकर मूसा अलैहिस्सलाम ने इस दिन रोज़ा रखा और अपनी कौम को भी रोज़ा रखने के लिए कहा। नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने भी इस दिन का रोज़ा रखा, सहाबा को इसका रोज़ा रखने का हुक्म दिया। दुर्भाग्य से इसी महीने में हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हु की शहादत की दुखद धटना पेश आई। जिसका इस लेख में खुलासा किया गया है।
- हिन्दी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
तौहीद अर्थात एकेश्वरवाद, अल्लाह तआला को उसके सर्वसंसार का एकमात्र सृष्टा, पालनहार, उपास्य व पूज्य होने, तथा उसके नामों और गुणों में एकता मानने का नाम है। एकेश्वरवाद का मानव के जीवन और समाज पर महान प्रभाव पड़ता है। एकेश्वरवाद मनुष्य को अपने पालनहार के सिवाय सब की गुलामी से मुक्त कर देता है, उसके मन को मिथकों और कल्पनाओं से फ्री कर देता है, उसकी आत्मा को अपमान और किसी के सामने आत्मसमर्पण करने के बजाय उसके अंदर आत्मसम्मान और आत्मविश्वास पैदा कर देता है और इच्छाओं की घेराबंदी से आज़ाद कर देता है। इसके अलावा एकेश्वरवाद के अन्य प्रभाव हैं जिनका प्रस्तुत लेख में उल्लेख किया गया है।
- हिन्दी अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
हमारे महान संदेष्टा मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के व्यक्तित्व पर आक्रमण के बाद, पूरी दुनिया में मुसलमानों की भावनाएं उत्तेजित हो गईं और इस अत्याचारी व अन्यायिक आक्रामक व्यवहार के प्रति अपने आक्रोष, क्रोध और अस्वीकृति व्यक्त करने लगीं। यह एक क्रान्ति है जो मूलतः मुसलमानों के अपने सम्मानित पैगंबर से मोहब्बत रखने के परिणाम स्वरूप पैदा हुई है। यह एक सराहनीय चीज़ है, परंतु इस मोहब्बत की जाँच परख करने और इसकी वास्तविकता पर चिंतन करने से यह स्पष्ट होता है कि यह अपेक्षित स्तर तक नहीं पहुँचती है। इस पुस्तिका में इसी चीज़ का खुलासा करने का प्रयास किया गया है।
- हिन्दी लेखक : मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
मनुष्य की रचना का मूल उद्देश्य अल्लाह सर्वशक्तिमान की उपासना व आराधना है। इस इबादत की कुछ शर्तें और नियम है जिनके बिना उपासना शुद्ध व मान्य नहीं होती। इस लेख में इस्लाम की दृष्टि में सही उपासना (इबादत) की शर्तों का उल्लेख किया गया है। चुनाँचे इबादत के शुद्ध व मान्य होने के लिए उसका उसके सबब (कारण), जाति (वर्ग, प्रकार), मात्रा, कैफियत (ढंग एवं तरीक़ा), समय और स्थान के अंदर शरीअत के अनुकूल होना अनिवार्य है।
- हिन्दी लेखक : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
इस लेख में शहादतैनः ला-इलाहा इल्लल्लाह और मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह की शहादत का वास्तविक अर्थ तथा उन शर्तों का उल्लेख किया गया है जिनका शहादतैन के पढ़ने वाले के अन्दर पाया जाना अनिवार्य है, ताकि यह शहादत उसके लिए आखिरत में लाभदायक सिद्ध हो।
- हिन्दी
यह छोटी सी पुस्तक क़ुरआन व हदीस एवं मुसलमानों की सहमति पर आधारित साक्ष्यों को बयान करती है जो संगीत पर आधारित गानय व संगीत एवं बेकार खेलकूद के वाद्ययंत्र की अवैधता पर साक्षी है; इसके अतिरिक्त इन की अवैधता का कारण भी बयान करती है, वह यह कि गानय एवं संगीत हृदय में रोग उत्पन्न कर देता है और इस से क़ुरआन की प्रियता को दूर कर देता है, यही कारण है कि जिस मनुष्य को संगीत सुनने की लत लग जाती है वह (अन्य मनुष्य के विपरीत) सबसे कम क़ुरआन याद करने, उसका सस्वर पाठ करने, उसको अपने जीवन में लागू करने के अभ्यासी होते हैं, अल्लाह तआ़ला इस बात से भली-भांति अवगत है के मनुष्य का सुधार किन माध्यमों से हो सकता है एवं कौन सी चीजें उनमें बिगाड़ उत्पन्न कर सकती हैं इस कारणवश अल्लाह ने उन्हें क़ुरआन व हदीस सुनने का आदेश दिया है, अच्छी बातों को सुनना उनके लिए वैध किया है एवं संगीत व नकारात्मक बातों को सुनना उनके लिए अवैध कर दिया है, क्योंकि इससे हृदय रोगी हो जाता है और जब हृदय रोगी हो जाए तो शरीर के संपूर्ण अंग रोग से पीड़ित हो जाते हैं।
- हिन्दी लेखक : मुहम्मद फ़ारूक़ खाँ संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
जीवन का सीधा और सच्चा मार्ग पाने के लिए मनुष्य को सदैव ईश्वरीय मार्ग-प्रदर्शन की आवश्यकता होती है। इससे हटकर वह सीधा मार्ग नहीं पा सकता। इसी उद्देश्य के लिए अल्लाह सर्वशक्तिमान ने किताबें उतारीं और अपने सन्देष्टा भेजे, जिन्हों ने लोगों के समक्ष अल्लाह के संदेश को प्रस्तुत किया, उसके अभिप्राय को स्पष्ट किया और उसके अनुसार चलकर दिखाया ; ताकि लोगों को अल्लाह के आदेशों के अनुसार जीवन व्यतीत करने का तरीक़ा पता चल जाए। इसकी अंतिम कड़ी हमारे सन्देष्टा मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम हैं, जिन पर नुबुव्वत व रिसालत का सिलसिला संपन्न हो जाता है और आपकी रिसालत को स्वीकार करना और उसका अनुपालन करना परलोक तक आनेवाली समस्त मानव जातियों के लिए कर्तव्य और दायित्व करार दिया जाता है, क्योंकि इसके बाद अल्लाह की ओर से कोई अन्य संदेष्टा, कोई और मार्ग-दर्शक अवतरित नहीं होगा। प्रस्तुत लेख में अंतिम सन्देष्टा के जीवन आदर्श का उल्लेख किया गया है।
- हिन्दी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
क़ुरआन की शिक्षाएं : मानव जीवन के विभिन्न और अनेक पहलू है, और क़ुरआन करीम समुचित मानवता का उसके जीवन के सभी विभिन्न मामलों में मार्गदर्शन करता है। चुनाँचे उसने मानव जीवन और मानव समाज को अनुशासित करने के लिए शिक्षाएं और निर्देश प्रस्तुत किए हैं। इस लेख में, कुरआन की महत्वपूर्ण शिक्षाओं का एक सार प्रस्तुत किया गया है।
- हिन्दी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का अवतरण मानवजाति के लिए समुचित दया व करूणा के रूप में हुआ है। अल्लाह ने आपको सर्व संसार के लिए रहमत-दया बनाकर भेजा है। आपकी दयालुता मात्र आपके अनुयायियों तक सीमित नहीं है, बल्कि वह आप में आस्था व विश्वास न रखनेवालों तक को भी सम्मिलित है। आपकी जीवनी ऐसे उदाहरणों से भरी पड़ी है जो गैरमुस्लिमों के साथ आपकी दयालुता को दर्शाते हैं। प्रस्तुत लेख में, ऐसे ही कुछ उदाहरणों का उल्लेख किया गया है।
- हिन्दी लेखक : मुहम्मद बिन अब्दुल्लाह बिन सालेह अस-सुहैम अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
इस तथ्य में कोई संदेह नहीं कि इस्लाम अल्लाह का धर्म है, और वही एक मात्र सच्चा धर्म है, और वही वह धर्म है जिसे सभी संदेश्वाहक और ईश्दूत लेकर आए हैं। अल्लाह तआला ने इस में विश्वास (ईमान) रखने वाले के लिए लोक व परलोक में महान प्रतिफल और इनाम का वादा किया है और उसके साथ कुफ्र करने वाले को कठोर सज़ा की धमकी दी है। प्रस्तुत पुस्तिका में कुफ्र के कुछ परिणामों का उल्लेख किया गया है।
- हिन्दी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की सादगीः क्या आप जानते हैं कि मानव इतिहास के सबसे महान पुरूष पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का जीवनयापन किस तरह था? आपकी महान स्थिति और सर्वोच्च पद के बावजूद सादगी का यह हाल था कि कई दिनों तक चूल्हा ही नहीं जलता था।
- हिन्दी लेखक : हुमाम बिम अब्दुर्रहमाम अल-हारिसी अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
इस उम्मत पर अल्लाह सर्वशक्तिमान की यह अनुकम्पा और अनुग्रह है कि उसने इसे सबसे अंतिम और सबसे श्रेष्ठ उम्मत बनाया है, तथा इस उम्मत के पैगंबर को समस्त ईश्दूतों और संदेष्टाओं में श्रेष्ठतम और उन सबकी अंतिम कड़ी बनाया है। और आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की मोहब्बत को धर्म क़रार दिया है जिसके द्वारा हम अल्लाह सर्वशक्तिमान की उपासना व आराधना करते हैं, और उसके द्वारा उसकी निकटता चाहते हैं। प्रस्तुत लेख में पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की मोहब्बत पर नफ्स के प्रशिक्षण और पालन पोषण के तरीक़े के बारे में चर्चा किया गया है। साथ ही साथ क़ियामत के दिन पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की शफाअत की प्राप्ति के कुछ कारणों का भी उल्लेख किया गया है।
- हिन्दी लेखक : अब्दुलहमीद बिन जाफर दाग़िस्तानी अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
प्रस्तुत लेख में अपशकुन व निराशावाद का अर्थ स्पष्ट करते हुए यह उल्लेख किया गया है कि यदि मुसलमान के दिल में अपशकुन पैदा हो जाए तो उसके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए। तथा इस बात पर प्रकाश डाली गई है कि सफर के महीने से अपशकुन लेना जाहिलियत के समयकाल की प्रथा है, इस्लाम धर्म में उसकी कोई वास्तविकता नहीं है।
- हिन्दी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
उम्मुल-मोमिनीन (अर्थात् विश्वासियों की माँ) उम्मुल-मोमिनीन सैयिदा आयशा बिन्त अबू बक्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु अन्हुमा पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की पत्नियों में आपके निकट सबसे प्रिय और चहेती थीं, उम्महातुल मोमिनीन के बीच उनका महान स्थान था। वह क़ुरआन व हदीस और इस्लामी धर्मशास्त्र मे निपुण महिला थीं। इस लेख में सैयिदा आयशा रज़ियल्लाहु की संक्षेप जीवनी और तीन ऐसे पहलुओं का उल्लेख किया गया है जिनमें वह उत्कृष्ट थीं।
- हिन्दी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
उम्मुल-मोमिनीन (अर्थात् विश्वासियों की माँ) उम्मुल-मोमिनीन सैयिदा हफ्सा बिन्त उमर बिन खत्ताब रज़ियल्लाहु अन्हुमा एक महान सहाबी खुनैस बिन हुज़ैफा अस-सहमी रज़ियल्लाहु अन्हु की पत्नी थीं, जो उहुद की लड़ाई में एक मार लगने के कारण अल्लाह को प्यारे हो गए थे। उसके बाद पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उनसे शादी की और वह उम्मुल मोमिनीन होगईं। वह जिबरील अलैहिस्सलाम की सच्ची गवाही के अनुसार बहुत रोज़ा रखनेवाली और बहुत नमाज़ पढ़नेवाली थीं, तथा स्वर्ग में भी पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की पत्नी हैं। इस लेख में उनकी संक्षेप जीवनी प्रस्तुत की गई है।
- हिन्दी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
उम्मुल-मोमिनीन (अर्थात् विश्वासियों की माँ) सैयिदा ज़ैनब बिन्त खुज़ैमा अल-हारिस रज़ियल्लाहु अन्हा को गरीबों और मिस्कीनों के साथ हमदर्दी व मेहरबानी करने के कारण “उम्मुल-मसाकीन” (अर्थात ग़रीबों की माँ) के नाम से याद किया जाता था, बद्र की लड़ाई में उनके पति के शहीद होने के बाद पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उनसे शादी की, उसके आठ महीने के बाद ही उनका निधन होगया, पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उनका जनाज़ा पढ़ा बक़ीअ नामी क़ब्रिस्तान में दफन की गईं, और वह उसमे दफन होनेवाली सर्व प्रथम उम्मुल मोमिनीन थीं।
- हिन्दी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
उम्मुल-मोमिनीन (अर्थात् विश्वासियों की माँ) सैयिदा रमलह बिन्त अबू सुफयान रज़ियल्लाहु अन्हा फसाहत (साफ सुथरी भाषा) वाली और शुद्ध विचार की मालिक महिला थीं। उनके पहले पति उबैदुल्लाह बिन जह्श की मौत के बाद पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उनसे शादी की। इस लेख में उनकी संक्षेप जीवनी प्रस्तुत की गई है।