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- क़ुरआन और उसके विज्ञान
अक़ीदा (आस्था)
आइटम्स की संख्या: 35
- हिन्दी संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर से यह प्रश्न किया गया किः क्या मुहर्रम के महीने के समान सफर के महीने की भी कोई विशेषता है? आशा है कि इस पर विस्तार के साथ प्रकाश डालेंगे। तथा मैं ने कुछ लोगों से सुना है कि वे इस महीने से अपशकुन लेते हैं, तो इसका क्या कारण है?
- हिन्दी अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
क्या रगाइब की नामज़ सुन्नत है जिसको पढ़ना मुसतहब है?
- हिन्दी मुफ्ती : स्थायी समिति वैज्ञानिक अनुसंधान, इफ्ता, दावत एंव निर्देश अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
हमारे देश में कुछ विद्वानों का भ्रम यह है कि इस्लाम धर्म में एक नफल नमाज़ है जो सफर महीने के अंत में बुध के दिन चाश्त के समय एक सलाम के साथ चार रकअत पढ़ी जाती है जिसमें हर रकअत के अंदर सूरतुल फातिहा, सत्तरह बार सूरतुल कौसर, पचास बार सूरतुल इख्लास, एक-एक बार मुअव्वज़तैन (यानी सूरतुल फलक़ और सूरतुन्नास) एक-एक बार पढ़े, इसी तरह हर रकअत में किया जाए और सलाम फेर दिया जाए। सलाम फेरने के बाद तीन सौ साठ बार यह आयत पढ़ें: ﴿وَاللَّهُ غَالِبٌ عَلَى أَمْرِهِ وَلَكِنَّ أَكْثَرَ النَّاسِ لاَ يَعْلَمُونَ﴾ तथा तीन बार जौहरतुल कमाल (तीजानी पद्वति का एक वज़ीफा) पढ़े, तथा अंत में ﴿سبحان ربك رب العزة عما يصفون وسلام على المرسلين والحمد لله رب العالمين﴾ और गरीबों को कुछ रोटी दान करे। इस आयत की विशेषता उस आपदा को दूर करना है जो सफ़र के महीने के अंतिम बुध को उतरती है। तथा उनका कहना है कि: हर वर्ष तीन लाख बीस हज़ार आपदाएं अवतरित होती हैं और ये सब की सब सफर के महीने की अंतिम बुध को उतरती हैं। इस तरह वह वर्ष का सबसे कठिन दिन होता है। अतः जो व्यक्ति इस नमाज़ को उक्त तरीक़े पर पढ़ेगा तो अल्लाह तआला उसे अपनी अनुकम्पा से उन सभी आपदाओं से सुरक्षित रखेगा जो उस दिन में उतरती हैं। तो क्या इसका यही समाधान है या नहीं ?
- हिन्दी मुफ्ती : स्थायी समिति वैज्ञानिक अनुसंधान, इफ्ता, दावत एंव निर्देश अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
हमने सुना है कि ऐसी मान्यताएं पाई जाती हैं जिसका आशय यह है कि सफर के महीने में शादी, खतना और इसके समान अन्य चीज़ें करना जायज़ नहीं है। कृपया हमें इस बारे में इस्लामी क़ानून के अनुसार अवगत कराएं। अल्लाह आप की रक्षा करे।
- हिन्दी मुफ्ती : अब्दुल अज़ीज़ बिन अब्दुल्लाह बिन बाज़ अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
अक्सर दोहराया जाता रहता है कि सफर का महीना नहूसत (अपशगुन, दुर्भाग्य) का महीना है, जिससे कुछ अवाम बहुत से मामलों में अपशकुन लेते हैं। चुनाँचे उदाहरण के तौर पर इस महीने में निकाह नहीं किया जाता है, इसी तरह कुछ लोगों का मानना है कि निकाह की सभा में लकड़ी तोड़ना या रस्सियों में गाँठ लगाना और उंगलियों में उंगलियाँ डालना जायज़ नहीं है ; क्योंकि इसकी वजह से यह विवाह विफल हो जायेगा और पति-पत्नी के बीच सामंजस्य नहीं बन पायेगा। चूँकि यह अक़ीदा को प्रभावित करता है, इसलिए कृपया नसीहत (सदुपदेश) करें और इस बारे में शरई प्रावधान स्पष्ट करें। अल्लाह तआला सभी लोगों को उस चीज़ की तौफीक़ प्रदान करने जिसे वह पसंद करता है और उससे प्रसन्न होता है।
- हिन्दी मुफ्ती : मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद
मैं संयुक्त राज्य (अमेरिका) में एक कालेज में पढ़ता हूँ। और मैं आप से यह प्रश्न इस लिये कर रहा हूँ ताकि मैं उस से अपने अनुसंधान (और उस ने विषय का नाम उल्लेख किया) में लाभान्वित हो सकूँ। आप लोगों के पास इस बात का प्रमाण (सबूत) क्या है कि जिब्रील (अलैहिस्सलाम) ने मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से बात चीत की है ?
- हिन्दी मुफ्ती : अब्दुर्रहमान बिन नासिर अल-बर्राक
हम में से कोई व्यक्ति इस बात से अनभिज्ञ नहीं है जो ईसाई लोग नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को बुरा-भला कहते हैं, तथा हम इस्लामी समुदाय के युवाओं की अपने धर्म और अपने पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के प्रति ग़ैरत (आत्म सम्मान) से भी हम अपरिचित नहीं हैं, तो क्या नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को गाली देने वाले (बुरा भला कहने वाले) का वक्ता को बुरा भला कहकर खंडन करना जाइज़ है, ज्ञात रहे कि मैं ने एक ऐसे ही व्यक्ति को बुरा भला कहा, तो मुझे मेरे एक निकटवर्ती ने दुबारा ऐसा न करने की सलाह दी, क्योंकि इसके कारण वे और अधिक दुर्वचन और उपहास व अपमान करेंगे, और उनका गुनाह मेरे ऊपर होगा।
- हिन्दी मुफ्ती : मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद
क्या हमारे लिए यह कहना जायज़ है कि हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हु शहीद होकर मरे थे ॽ
- हिन्दी मुफ्ती : मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद
चूँकि मैं एक मुसलमान हूँ, इसलिए निरंतर यह बात सुनता रहता हूँ कि मदीनतुल-क़ुद्स हमारे लिए महत्व पूर्ण है। परंतु इसका कारण क्या है ॽ मैं जानता हूँ कि ईशदूत याक़ूब (अलैहिस्सलाम) ने उस नगर में मस्जिदुल अक़्सा का निर्माण किया, और हमारे नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने पिछले ईश्दूतों की उसके अंदर नमाज़ में इमामत करवाई, जिस से संदेश और ईश्वरीय वह्य की एकता की पुष्टि होती है, तो क्या इस नगर के महत्वपूर्ण होने का कोई अन्य मूल कारण भी है ॽ या केवल इस कारण कि हमारा मामला मात्र यहूद के साथ है ॽ मुझे लगता है इस नगर में यहूद का हमसे अधिक हिस्सा है।
- हिन्दी मुफ्ती : मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद
मेरा एक भांजा है जिसकी आयु आठ साल है, वह एक बार अचानक मुझसे यह प्रश्न कर बैठा कि शीया लोग कौन हैं ॽ मेरी समझ में नहीं आया कि उसे क्या जवाब दूँ, परंतु मैं ने उससे यह कहा कि बड़े होने के बाद तुम्हें पता चल जायेगा ! लेकिन वह इस जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ, और जब मेरे भाँजे ने जिसकी आयु दस साल है उससे कहा कि हम लोग सुन्नी हैं, तो उसने उसके जवाब में कहा कि मैं शीया हूँ। तो इसका क्या जवाब है जो उसकी आयु के हिसाब से उचित हो और वह उससे सन्तुष्ट भी हो जाए ॽ
- हिन्दी मुफ्ती : स्थायी समिति वैज्ञानिक अनुसंधान, इफ्ता, दावत एंव निर्देश अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
हमारे यहाँ पंद्रह शाबान की रात को लोग मस्जिदों में एकत्र होते हैं और तीन बार सूरत यासीन पढ़ते हैं और मौलिद पढ़ते हैं।
- हिन्दी मुफ्ती : मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद संशोधन : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
हमारे ऊपर हमारे पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से अंतिम स्तर तक (या किसी भी अन्य व्यक्ति से अधिकतर) महब्बत करना, तथा आप का आज्ञा पालन करना, पैरवी करना और आदर-सम्मान करना क्यों अनिवार्य है ?
- हिन्दी मुफ्ती : मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
समलैंगिकता (Homosexuality and Lesbianism) को इस्लाम में हराम (वर्जित) क्यों समझा जाता है? मैं जानता हूँ कि यह हराम (निषिद्ध) है किन्तु इसका कारण क्या है? और क़ुर्आन और हदीस में इसके बारे में क्या वर्णन हुआ है?
- हिन्दी मुफ्ती : मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की प्रशंसा को तिजारत बना लेने का हुक्म क्या है?
- हिन्दी मुफ्ती : मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन अनुवाद : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह प्रकाशक : इस्लामी आमन्त्रण एंव निर्देश कार्यालय रब्वा, रियाज़, सऊदी अरब
क्या जिन्नात ग़ैब की बातें जानते हैं?